Shark Tank India-4: शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 के 10वें एपिसोड में मीत देवरे, एक 16 वर्षीय छात्र, अपने स्टार्टअप “डेनी बाइक्स” के साथ आए। मीत ने 10 साल की उम्र में इलेक्ट्रिक गो-कार्ट बनाया और अब उन्होंने डेनी एल्फा नामक एक किफायती इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल विकसित की है। यह बाइक 75 किलोमीटर की रेंज देती है और 40,000 रुपये में तैयार हुई है। मीत ने शो में 10% इक्विटी के बदले 30 लाख रुपये की फंडिंग मांगी, लेकिन शुरुआती चरण में होने के कारण उन्हें फंडिंग नहीं मिली।
कैंपस एपिसोड की खासियत
शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India-4) का 10वां एपिसोड एक विशेष कैंपस एपिसोड था, जिसमें कई युवा और होनहार उद्यमियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। इस एपिसोड में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला स्टार्टअप था डेनी बाइक्स (Deni Bikes), जिसके फाउंडर की उम्र महज 16 साल है।
मीत देवरे: बचपन से जुनून
मीत देवरे, जो पुणे के रहने वाले हैं और वर्तमान में 11वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं, ने अपनी कम उम्र में ही गाड़ियों और मोटर इंजीनियरिंग के प्रति अपने जुनून को दिखाया है। मीत ने बताया कि उन्हें बचपन से ही गाड़ियों से खास लगाव था और उन्होंने कई छोटे प्रोजेक्ट्स किए थे।
प्रारंभिक परियोजनाएँ
मीत का पहला प्रोजेक्ट एक इलेक्ट्रिक स्टियरर था। इसके बाद उन्होंने घर के पर्दों को ऑटोमेट करने के लिए एक मोटर बनाई। जब मीत ने अपनी मां से इलेक्ट्रिक स्केटिंग बोर्ड खरीदने की बात की, तो मां के मना करने पर उन्होंने खुद इसे बनाने की कोशिश की, हालांकि वह सफल नहीं हो पाए।
इलेक्ट्रिक गो कार्ट की सफलता
10 साल की उम्र में मीत ने एक इलेक्ट्रिक गो कार्ट बनाया, जो उनके लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट था। इस प्रोजेक्ट ने उनके तकनीकी कौशल और रचनात्मकता को उजागर किया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
डेनी बाइक्स की शुरुआत
2023 में, मीत ने डेनी एल्फा नामक एक इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल बनाई, जो पूरी तरह से मेड इन इंडिया है। उन्होंने इसे मात्र 40 हजार रुपये में तैयार किया। मीत के अनुसार, यह मोटरसाइकिल मार्केट में करीब 80 हजार रुपये में बिक्री के लिए लॉन्च हो सकती है।
कंपनी का नाम: माता-पिता के सम्मान में
मीत ने अपनी कंपनी का नाम डेनी अपने माता-पिता के नामों को मिलाकर रखा। उनके पिता का सरनेम डेवरे और मां का सरनेम निकम है। इस प्रकार, उन्होंने अपने परिवार को सम्मानित करते हुए अपनी कंपनी का नाम डेनी रखा।
डेनी एल्फा की विशेषताएं
तकनीकी विवरण
डेनी एल्फा में 48 वोल्ट और 1 किलोवॉट की मोटर है। इसमें चेन ड्राइव सिस्टम है जो अतिरिक्त पावर प्रदान करता है। इसकी लीथियम आयन बैटरी 3-4 घंटे में पूरी तरह चार्ज हो जाती है और एक चार्ज पर 75 किलोमीटर तक का माइलेज देती है।
प्रतिस्पर्धा
मीत ने बताया कि उनकी मोटरसाइकिल की सीधी टक्कर ई-लूना जैसी अन्य इलेक्ट्रिक बाइक से है। हालांकि, डेनी एल्फा अपनी कम लागत और बेहतर माइलेज के कारण बाजार में एक अलग पहचान बना सकती है।
शार्क टैंक इंडिया में पिच
मीत ने शार्क टैंक इंडिया में अपने स्टार्टअप के लिए 10% इक्विटी के बदले 30 लाख रुपये की फंडिंग मांगी। उन्होंने बताया कि फंडिंग का उपयोग रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए किया जाएगा।
जजों की प्रतिक्रिया
शार्क टैंक के जज मीत के जुनून और प्रतिभा से काफी प्रभावित हुए, लेकिन उनके स्टार्टअप की शुरुआती अवस्था को देखते हुए किसी ने भी फंडिंग नहीं दी। जजों ने मीत को आगे बढ़ने और अपने प्रोडक्ट को और विकसित करने की सलाह दी।
मीत की आगे की योजनाएँ
हालांकि मीत को शार्क टैंक इंडिया में फंडिंग नहीं मिल सकी, लेकिन उनका हौसला बुलंद है। वे अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता सुधारने और अधिक इनोवेटिव फीचर्स जोड़ने की योजना बना रहे हैं। मीत का उद्देश्य है कि डेनी बाइक्स को भारत में एक प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन ब्रांड के रूप में स्थापित करें।
स्किल्स और लर्निंग
मीत अपनी तकनीकी स्किल्स को और बेहतर बनाने के लिए विभिन्न ऑनलाइन कोर्सेज कर रहे हैं और अपनी शिक्षा के साथ-साथ अपने प्रोजेक्ट्स पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उनकी योजना है कि वे आगे चलकर ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा प्राप्त करें और अपने स्टार्टअप को ग्लोबल लेवल पर ले जाएं।
मीत की प्रेरणा
मीत देवरे का कहना है कि उन्हें हमेशा से ही नई चीजें बनाने और समस्याओं के समाधान ढूंढने का शौक रहा है। उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया है और उनके हर कदम पर उनका साथ दिया है। मीत की यह यात्रा दिखाती है कि यदि जुनून और मेहनत से काम किया जाए तो उम्र कोई बाधा नहीं होती।
निष्कर्ष
मीत देवरे की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो कुछ अलग करने की चाह रखते हैं। शार्क टैंक इंडिया में भले ही उन्हें फंडिंग नहीं मिली हो, लेकिन उनकी मेहनत, जुनून और दृष्टिकोण उन्हें भविष्य में सफलता की ओर ले जाएंगे। उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा में मेहनत करने से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।