शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 में Savani नामक स्टार्टअप ने ऐतिहासिक धरोहरों के पुनर्स्थापन के लिए 0.8% इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये की फंडिंग हासिल की। तीन पीढ़ियों द्वारा संचालित इस कंपनी ने अब तक 300 से अधिक प्रोजेक्ट्स पूरे किए हैं और 2030 तक 1000 धरोहरों को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
तीन पीढ़ियों का अनोखा स्टार्टअप ‘Savani’
शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में इतिहास में पहली बार एक ऐसा स्टार्टअप पहुंचा, जिसे तीन पीढ़ियां मिलकर चला रही हैं। इस स्टार्टअप का नाम है ‘सवानी’ (SAVANI), जो पुरानी हेरिटेज बिल्डिंग्स को रीस्टोर करने का काम करता है। ‘सवानी’ के फाउंडर्स शांतिलाल सवानी, राम सवानी और जाग्रुत सवानी हैं। 70 वर्षीय शांतिलाल सवानी ने 1995 में इस कंपनी की नींव रखी थी। उनके साथ उनके भतीजे 47 वर्षीय राम सवानी और 26 वर्षीय जाग्रुत सवानी भी इस बिजनेस में शामिल हैं।
हेरिटेज बिल्डिंग्स का संरक्षण
मुंबई स्थित ‘Savani’ का मिशन है भारत की पुरानी धरोहरों को उनकी असल पहचान में रीस्टोर करना। फाउंडर्स बताते हैं कि वे वैज्ञानिक और पारंपरिक तरीकों से इन बिल्डिंग्स को पुनर्जीवित करते हैं। कंपनी ने अभी तक 20 राज्यों में 300 से अधिक प्रोजेक्ट्स पूरे किए हैं। इन प्रोजेक्ट्स में कई महत्वपूर्ण धरोहरें शामिल हैं, जिन्हें समय के साथ खराब हालत में छोड़ दिया गया था। कंपनी का लक्ष्य है कि 2030 तक 1000 से अधिक धरोहरों को रीस्टोर किया जाए।
Savani की यात्रा
1995 में शांतिलाल सवानी ने इस कंपनी को शुरू किया। उनके भतीजे राम सवानी, जो सिविल इंजीनियरिंग में दक्ष हैं, 2005 में इस कंपनी से जुड़े। 2024 में राम सवानी के भतीजे जाग्रुत सवानी, जिन्होंने अमेरिका से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है, कंपनी में शामिल हुए। जाग्रुत के जुड़ने से कंपनी को नई ऊर्जा और आधुनिक दृष्टिकोण मिला है।
प्रतिष्ठित परियोजनाएं और सम्मान
Savani हेरिटेज ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इनमें आईआईएम अहमदाबाद की विक्रम साराभाई लाइब्रेरी का रीस्टोरेशन शामिल है, जिसके लिए कंपनी को यूनेस्को से सम्मानित किया गया है। मुंबई के रॉयल ओपेरा हाउस को भी ‘सवानी’ ने पुनर्जीवित किया है। यह हाउस पहले बहुत ही खतरनाक हालत में था और अब एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है।
शार्क टैंक में ‘सवानी’ की प्रस्तुति
शार्क टैंक इंडिया के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब इतनी उच्च राजस्व वाली कंपनी शो में पहुंची। इस साल नवंबर तक ‘सवानी’ ने 115 करोड़ रुपये का ग्रॉस रेवेन्यू किया है, और साल खत्म होते-होते यह आंकड़ा 300 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। पिछले वर्ष कंपनी का ग्रॉस रेवेन्यू 124.7 करोड़ रुपये था।
सरकार से प्राप्त काम
‘Savani’ को अपने 85-90 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स सरकार से प्राप्त होते हैं, जबकि शेष 10-15 प्रतिशत प्राइवेट क्लाइंट्स से आते हैं। कंपनी के प्रोजेक्ट्स की लागत 2 लाख रुपये से लेकर 110 करोड़ रुपये तक हो सकती है। वर्तमान में ‘सवानी’ के पास लगभग 850 करोड़ रुपये के वर्क ऑर्डर्स हैं।
फंडिंग की मांग
‘Savani’ के फाउंडर्स ने शार्क टैंक इंडिया में 1 प्रतिशत इक्विटी के बदले 3 करोड़ रुपये की फंडिंग की मांग की, जिससे कंपनी का वैल्युएशन 300 करोड़ रुपये लगाया गया। हालांकि, इस डील से कुणाल, नमिता, विनीता और अनुपम बाहर हो गए। अनुपम ने तो यह तक कह दिया कि फाउंडर्स को अपने सही आंकड़े नहीं पता और वे सिर्फ मार्केटिंग करने आए हैं।
रितेश की डील
शार्क रितेश ने 1 प्रतिशत इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये और 3 साल के लिए 10 प्रतिशत ब्याज दर पर 2 करोड़ रुपये का कर्ज ऑफर किया। अंत में, 0.8 प्रतिशत इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये और 3 साल के लिए 10 प्रतिशत ब्याज दर पर 2 करोड़ रुपये के कर्ज की डील डन हुई।
भविष्य की योजनाएं
‘Savani’ कंपनी आने वाले समय में आईपीओ लाने की योजना बना रही है। फाउंडर्स का कहना है कि वे देश की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कंपनी का विजन है कि वे अपनी सेवाओं को और अधिक विस्तारित करें और 1000 से अधिक धरोहरों को रीस्टोर करें।
निष्कर्ष
‘Savani’ का सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे तीन पीढ़ियों की मेहनत और समर्पण एक कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। शार्क टैंक इंडिया में इनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को भी प्रभावित किया और भारतीय धरोहरों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई।