Trending
Shark Tank India Season 4: When designer shoe startup 'Kanvas' arrived on the show, the sharks were stunned

Shark Tank India Season 4: जब शो पर पहुंचा डिजाइनर जूतों वाला स्टार्टअप ‘Kanvas’ शार्क रह गये दंग

शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में एक ऐसा अनोखा स्टार्टअप देखने को मिला जिसने अपने डिजाइनर जूतों से जजों का ध्यान खींचा। इस स्टार्टअप का नाम है कैनवास (Kanvas)। इसकी शुरुआत 2019 में मुंबई की रहने वाली कोमल पांचाल ने की। उनका मकसद था कि अधिक से अधिक कारीगरों की कला को दुनिया तक पहुंचाया जाए और उनकी आय में सुधार किया जाए।

कोमल पांचाल की प्रेरणादायक कहानी

कोमल जब छोटी बच्ची थीं, तब से ही उन्हें जूतों का बहुत शौक था। दसवीं कक्षा में ही उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें एक जूतों का ब्रांड बनाना है। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम कैनवास (Kanvas) रखा, जिसमें ‘K’ का इस्तेमाल उनके नाम के शुरुआती अक्षर के कारण किया गया। कोमल ने टेक्सटाइल कैटेगरी में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई की और इसी दौरान उन्होंने भारत की विभिन्न कलाओं के बारे में गहराई से जाना।

Kanvas जूतों की खासियत

कैनवास के जूतों पर भारत की रीजनल आर्ट जैसे मधुबनी, कलमकारी, पट्टाचित्र आदि के डिजाइन बनाए जाते हैं। इन जूतों को बनाने में कैनवास, कॉटन, पीयू लैदर जैसे सामग्री का उपयोग किया जाता है और यूवी कोटिंग भी की जाती है। हालांकि, इन जूतों को पानी में धोया नहीं जा सकता। कोमल दावा करती हैं कि उनके जूते 4-5 साल तक चल सकते हैं।

इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग

कंपनी के सभी जूतों की इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग की जाती है। इसके बाद जूतों पर डिज़ाइन रीजनल आर्टिस्ट्स से करवाए जाते हैं। इस मॉडल ने न केवल कारीगरों को रोजगार दिया है बल्कि उनकी कला को एक मंच भी प्रदान किया है।

Kanvas का अनोखा स्टोर

मुंबई में कंपनी का एक स्टोर है, जिसे कोमल ने अपने पिता के गैराज से बनाया है। स्टोर की सजावट में टायर, टूलबॉक्स और पाइप जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया है। इस अनोखी सजावट ने सभी शार्क्स का ध्यान खींचा। स्टोर की यह थीम दिखाती है कि कंपनी हर छोटी चीज को बड़े इनोवेटिव तरीके से इस्तेमाल करती है।

कंपनी की बिक्री और रिटेंशन रेट

कैनवास का रिटेंशन रेट लगभग 23% है। 2019 में कंपनी ने 46 लाख रुपये की बिक्री की थी। इसके बाद आने वाले सालों में यह 28 लाख, 67 लाख, 69 लाख और पिछले साल 77 लाख रुपये रही। 2023-24 के शुरुआती 9 महीनों में कंपनी ने 21 लाख रुपये की बिक्री की है। हालांकि, कंपनी को सेल में तेज़ी लाने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी।

ग्लोबल ब्रांड बनाने की योजना

कोमल की योजना है कि वह अपने ब्रांड को ग्लोबल ले जाएं। इसके साथ ही वह बैग, स्कार्फ, वॉलेट और बेल्ट जैसी कैटेगरी में भी रीजनल आर्टिस्ट्स के डिजाइन के साथ काम करना चाहती हैं। कंपनी के पास फिलहाल 300 से ज्यादा एसकेयू हैं, जिनकी कीमत 1600 रुपये से लेकर 4600 रुपये तक है।

फंडिंग में सफलता नहीं

शार्क टैंक इंडिया में कोमल ने अपने स्टार्टअप की 6% इक्विटी के बदले 60 लाख रुपये की मांग की थी। हालांकि, किसी भी शार्क ने इसमें निवेश नहीं किया। सभी ने इसे शुरुआती दौर का स्टार्टअप बताया और कहा कि इस बिजनेस को स्केल करना एक बड़ी चुनौती है।

कैनवास का महत्व और योगदान

कैनवास न केवल एक बिजनेस है, बल्कि यह भारतीय कारीगरों की कला को प्रमोट करने का एक प्रयास भी है। यह कंपनी दिखाती है कि कैसे स्थानीय कला को आधुनिक डिजाइन और वैश्विक बाजारों के साथ जोड़ा जा सकता है।

भारत में रीजनल आर्ट और फैशन का बढ़ता महत्व

कैनवास जैसे स्टार्टअप्स भारत में रीजनल आर्ट और फैशन को एक नई पहचान दे रहे हैं। यह न केवल भारतीय कला को जीवित रख रहा है, बल्कि कारीगरों को आत्मनिर्भर बनने में भी मदद कर रहा है।

भविष्य की राह

कोमल का उद्देश्य है कि कैनवास को एक ग्लोबल ब्रांड बनाया जाए। इसके लिए उन्हें मार्केटिंग और सेल्स को मजबूत करना होगा। साथ ही, अन्य कैटेगरी में विस्तार करके वह अपने ब्रांड को और अधिक ग्राहकों तक पहुंचा सकती हैं।

निष्कर्ष

कैनवास का सफर एक प्रेरणा है, जो दिखाता है कि कैसे जुनून और परिश्रम से एक छोटी शुरुआत को बड़ा सपना बनाया जा सकता है। भारतीय कला और कारीगरों को प्रमोट करने की इस अनोखी पहल को यदि सही दिशा और समर्थन मिले, तो यह ब्रांड ग्लोबल बाजार में अपनी जगह बना सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top