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Ep17. Shark Tank India-4: Midas Paints Paint made from cow dung, a unique startup but the sharks did not invest

Ep17. Shark Tank India-4: Midas Paints गाय के गोबर से बना पेंट, अनोखा स्टार्टअप लेकिन शार्क्स ने नहीं दिया निवेश

भारत में स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा है और नए-नए इनोवेटिव आइडियाज सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा स्टार्टअप शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 (Shark Tank India Season 4) में देखने को मिला, जिसका नाम मिडास पेंट्स (Midas Paints) है। यह स्टार्टअप गाय के गोबर से ईको-फ्रेंडली पेंट बनाता है और इसे पुणे के चार दोस्तों ने मिलकर शुरू किया।

गोबर से पेंट बनाने वाला स्टार्टअप – मिडास पेंट्स

भारत में पारंपरिक रूप से घरों की लिपाई-पुताई में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता रहा है। गोबर को एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों के लिए जाना जाता है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए मिडास पेंट्स ने गोबर से पेंट बनाने की शुरुआत की।

इस स्टार्टअप की नींव मयूर चानगुड़े, मयूर राजपूत, सचिन और अक्षय ने रखी। इन चारों दोस्तों ने मिलकर एक ऐसे पेंट का निर्माण किया, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि आम पेंट की तुलना में 20% तक सस्ता भी है।

कैसे हुई मिडास पेंट्स की शुरुआत?

चारों फाउंडर्स बचपन के दोस्त हैं और वे जूनियर-सीनियर भी रह चुके हैं। मयूर राजपूत ने पढ़ाई पूरी करने के बाद एक एमएनसी में काम किया, लेकिन 2021 में नौकरी छोड़कर इस स्टार्टअप की शुरुआत की।

मयूर चानगुड़े ने पढ़ाई के बाद खेती शुरू कर दी, जबकि सचिन और अक्षय किसी अन्य बिजनेस में भी जुड़े हुए हैं।

जब शार्क्स को यह पता चला कि चारों फाउंडर्स इस बिजनेस के साथ-साथ अन्य बिजनेस भी कर रहे हैं, तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आप चार लोग मिलकर 5 कंपनियां चला रहे हैं!”

गोबर से बने पेंट की खासियत

  • 100% ईको-फ्रेंडली: इस पेंट में किसी भी प्रकार के केमिकल्स नहीं होते, जिससे यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
  • एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल: यह पेंट घरों में बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ने से रोकता है।
  • कीमत में सस्ता: यह सामान्य पेंट की तुलना में 20% तक कम कीमत पर उपलब्ध होता है।
  • 15,000 से अधिक कलर शेड्स: कंपनी के पास 15,000 से अधिक रंगों के विकल्प उपलब्ध हैं।
  • 3 लाख किलो से अधिक की बिक्री: पिछले तीन सालों में कंपनी 3 लाख किलो से अधिक पेंट बेच चुकी है।
  • हल्की गोबर की महक: पेंट में गोबर की हल्की महक आती है, जो कुछ समय बाद खत्म हो जाती है।

कैसे करता है काम मिडास पेंट्स?

फिलहाल कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया मार्केटिंग (Facebook, Instagram, आदि) का इस्तेमाल कर रही है।

इसके अलावा, कंपनी ने गोबर से पेंट बनाने का पेटेंट भी अप्लाई किया हुआ है।

बिजनेस ग्रोथ और सेल्स रिपोर्ट

  • 2021 में: कंपनी की शुरुआत हुई और पहले साल में 15 लाख रुपये की सेल हुई।
  • 2022-23 में: सेल्स बढ़कर 45 लाख रुपये हो गई।
  • 2023-24 में: बिजनेस और आगे बढ़ा और 75 लाख रुपये की कमाई हुई।
  • 2024-25 (अक्टूबर तक): कंपनी 60 लाख रुपये कमा चुकी है और इस साल 5 करोड़ रुपये की टारगेट सेल्स का अनुमान है।

शार्क टैंक इंडिया में क्या हुआ?

फाउंडर्स ने शार्क टैंक इंडिया में अपने स्टार्टअप के लिए 5% इक्विटी के बदले 3 करोड़ रुपये की मांग की।

हालांकि, शार्क्स को यह पसंद नहीं आया कि फाउंडर्स इस बिजनेस को पार्ट-टाइम चला रहे हैं और किसी ने भी पूरी तरह से खुद को इस बिजनेस के लिए कमिट नहीं किया है।

शार्क्स की प्रतिक्रिया:

  • अनुपम मित्तल: उन्होंने इस आइडिया की सराहना की लेकिन कहा कि बिजनेस को पूरी तरह से डेडिकेटेड होकर चलाना जरूरी है। डील से बाहर होते हुए उन्होंने कहा – “उम्मीद करता हूं आप गोबर के गब्बर बनो!”
  • अमन गुप्ता: उन्हें भी यह पसंद नहीं आया कि कोई भी फाउंडर इस बिजनेस के लिए फुल टाइम काम नहीं कर रहा है, इसलिए उन्होंने इन्वेस्ट नहीं किया।
  • कुणाल शाह: उन्होंने बिजनेस मॉडल में स्थिरता की कमी बताई और डील से बाहर हो गए।
  • नमिता थापर और रितेश अग्रवाल: वे भी इस बिजनेस में कोई इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहते थे।

मिडास पेंट्स को फंडिंग क्यों नहीं मिली?

  1. फाउंडर्स की कमिटमेंट: सभी फाउंडर्स इस बिजनेस के साथ-साथ अन्य काम भी कर रहे हैं, जिससे निवेशकों को यह भरोसा नहीं हुआ कि वे इसे पूरी तरह सफल बना पाएंगे।
  2. राजस्व मॉडल स्पष्ट नहीं था: जब फाउंडर्स से उनकी सैलरी और प्रॉफिट के बारे में पूछा गया, तो वे इसका सही जवाब नहीं दे सके।
  3. बिजनेस स्केलेबिलिटी को लेकर सवाल: शार्क्स को यह भी लगा कि बिजनेस को बड़े पैमाने पर बढ़ाना मुश्किल होगा।

भविष्य की संभावनाएं

भले ही मिडास पेंट्स को शार्क टैंक इंडिया से फंडिंग नहीं मिली, लेकिन यह स्टार्टअप एक अनोखे और पर्यावरण के अनुकूल प्रोडक्ट पर काम कर रहा है।

आने वाले समय में कंपनी के लिए कुछ जरूरी कदम:

  • बिजनेस मॉडल को और मजबूत बनाना।
  • एक या दो फाउंडर्स को इस बिजनेस में पूरी तरह से फुल-टाइम शामिल करना।
  • बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी करना।
  • फंडिंग के नए रास्ते तलाशना।
  • और अधिक रिसर्च और डेवलपमेंट पर ध्यान देना।

निष्कर्ष

मिडास पेंट्स ने दिखाया कि पारंपरिक चीजों को नए तरीके से इस्तेमाल करके भी बिजनेस खड़ा किया जा सकता है।

हालांकि, यह स्टार्टअप शार्क टैंक इंडिया में निवेश हासिल करने में असफल रहा, लेकिन इनके अनोखे आइडिया को निवेशकों और दर्शकों ने काफी सराहा।

अगर आने वाले समय में फाउंडर्स पूरी तरह से इस बिजनेस में कमिटमेंट दिखाते हैं और अपने बिजनेस मॉडल को और मजबूत करते हैं, तो यह स्टार्टअप एक बड़ा नाम बन सकता है।

क्या मिडास पेंट्स सच में “गोबर का गब्बर” बन पाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा!

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