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Shark Tank India 4: Aman Gupta's anger on Decby's founder and Ritesh Agarwal's support, you should also know,,

Shark Tank India 4: डेक्बी के फाउंडर पर अमन गुप्ता का गुस्सा और रितेश अग्रवाल का समर्थन जाने आप भी,,

Shark Tank India 4: भारत में गेमिंग का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और इसी बढ़ते बाजार में एक नया स्टार्टअप ‘डेक्बी (DACBY)’ शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 में फंडिंग के लिए पहुंचा। यह स्टार्टअप गुरुग्राम का है और पुराने गेमिंग गियर को रीसेल करने का प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। इस स्टार्टअप की स्थापना कानपुर के आयुष चौहान ने की है।

डेक्बी (DACBY) का बिजनेस मॉडल

डेक्बी (DACBY) एक री-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है जो उपयोगकर्ताओं को उनके पुराने गेमिंग गियर को बेचने का मौका देता है। यह प्लेटफॉर्म कैशिफाई की तरह काम करता है, जहां उपयोगकर्ता अपने पुराने गेमिंग कंसोल और गियर को लिस्ट कर सकते हैं। डेक्बी इन गियर को चेक करता है, यदि जरूरत हो तो उन्हें रीफर्बिश करता है और फिर अपनी वेबसाइट पर बेचता है। इससे उपयोगकर्ताओं को पुराने गियर से पैसे कमाने का मौका मिलता है, और नए खरीदारों को किफायती कीमत पर गियर मिलते हैं।

आयुष चौहान की प्रेरक यात्रा

आयुष ने आईआईटी जोधपुर से ड्रॉपआउट किया था। उनका सपना एक सफल उद्यमी बनने का था, जिसके लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ी। उन्होंने शुरुआत में एक सॉफ्टवेयर बनाया जो रेस्टोरेंट्स में डाइनिंग समय बचाने में मदद करता था। हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान यह बिजनेस नहीं चला, जिसके बाद उन्होंने फरवरी 2022 में डेक्बी की शुरुआत की।

डेक्बी की फंडिंग और ग्रोथ

डेक्बी ने अपने शुरुआती दिनों में ही सफलता के संकेत दिखाए। स्टार्टअप ने सितंबर 2022 में 1.2 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई और जून 2023 में 37 लाख रुपये की अतिरिक्त फंडिंग प्राप्त की। इसके अलावा, नवंबर 2023 में स्टार्टअप इंडिया से 50 लाख रुपये का कन्वर्टिबल मिला। वर्तमान में, डेक्बी हर महीने करीब 900 ऑर्डर प्रोसेस करता है और 30 लाख रुपये की बिक्री करता है। हालांकि, कंपनी को हर महीने लगभग 5 लाख रुपये का नुकसान भी हो रहा है।

डेक्बी के को-फाउंडर्स और चुनौतियां

डेक्बी की शुरुआत तीन को-फाउंडर्स ने की थी, लेकिन बाद में मतभेदों के चलते आयुष को अकेले यह बिजनेस संभालना पड़ा। आयुष ने अपने दोस्तों को आईआईटी छोड़ने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन जब उन्होंने नौकरी पाना शुरू किया, तो को-फाउंडर्स के बीच विवाद हो गया। आयुष ने अपने को-फाउंडर्स को 20 लाख रुपये देकर अलग कर दिया, जिसे उन्होंने एक अन्य कंपनी के फाउंडर से उधार लिया था। बाद में उन्होंने यह रकम अपने पिता से लेकर चुका दी। आयुष के पिता ने उन्हें हमेशा समर्थन दिया और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे अपना घर भी बेच सकते हैं।

कैशिफाई के साथ डील

डेक्बी ने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए कैशिफाई के साथ एक बड़ी डील की है। इस डील के तहत, कैशिफाई पर जाने वाले उपयोगकर्ताओं को डेक्बी पर रीडायरेक्ट किया जाएगा। यह डील डेक्बी के बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगी। आयुष की योजना है कि वह पीसी गेमिंग में भी प्रवेश करें और अगले तीन वर्षों में अपने ब्रांड के तहत नए प्रोडक्ट्स लॉन्च करें।

शार्क्स का रिएक्शन और फंडिंग की स्थिति

आयुष ने शार्क टैंक इंडिया में 2.2% इक्विटी के बदले 75 लाख रुपये की फंडिंग मांगी। हालांकि, अनुपम, पीयूष, और नमिता ने इस डील से बाहर होने का फैसला किया। रितेश ने निवेश नहीं किया, लेकिन अपने कंपनी के फैमिली ऑफिस के फेलोशिप प्रोग्राम के तहत 10 लाख रुपये का ग्रांट देने का वादा किया, ताकि आयुष इसे अपनी व्यक्तिगत जरूरतों में इस्तेमाल कर सकें।

अमन गुप्ता ने आयुष पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि आईआईटी छोड़ना, दोस्तों को छोड़ना, और पापा से पैसे लेना उनकी गलतियां थीं। उन्होंने आयुष को सलाह दी कि अभी बिजनेस छोड़कर नौकरी पर ध्यान दें और मेहनत करें।

आयुष का संघर्ष और भविष्य की योजनाएं

आयुष ने पिछले एक साल से अपनी कंपनी से कोई सैलरी नहीं ली है। वह घर से मिलने वाली पॉकेट मनी से अपना खर्चा चलाते हैं। आयुष का कहना है कि उनके पास बैंक में लगभग 15 लाख रुपये हैं और व्यक्तिगत खाते में 4-5 हजार रुपये हैं। आयुष का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में डेक्बी को गेमिंग गियर का सबसे बड़ा री-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाएं और अपनी ब्रांड वैल्यू को बढ़ाएं।

निष्कर्ष

डेक्बी (DACBY) की कहानी आयुष चौहान के साहस, संघर्ष, और नवाचार की कहानी है। उनके स्टार्टअप ने दिखाया है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। शार्क टैंक इंडिया के मंच पर आयुष की यात्रा कई युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए कठिनाइयों से लड़ रहे हैं। डेक्बी की कहानी हमें सिखाती है कि असफलताओं से सीखकर आगे बढ़ना ही सच्ची सफलता है।

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