शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में कई अनोखे और इनोवेटिव स्टार्टअप्स नजर आए। इनमें से एक बेहद खास स्टार्टअप था ‘7 रिंग’, जो एक ऐसी स्मार्ट रिंग बनाता है जिससे बिना किसी चार्जिंग या लिंकिंग के पेमेंट की जा सकती है। इस क्रांतिकारी आइडिया के साथ मुंबई के विजय वासुदेव खूबचंदानी, महक सावला और कार्तिक मेनन ने अपनी अनोखी रिंग से जजों का ध्यान आकर्षित किया।
7 रिंग: पेमेंट की दुनिया में अनोखा कदम
इस स्मार्ट रिंग का उद्देश्य पेमेंट के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाना है। यह रिंग यूपीआई लाइट पर आधारित है, जिससे बिना किसी बैंक अकाउंट लिंक किए पेमेंट की जा सकती है। इसे चार्ज करने की जरूरत नहीं होती और ना ही फोन से पेयरिंग करनी पड़ती है। बस रिंग को टैप करके भुगतान किया जा सकता है, जिससे यह उपयोगकर्ताओं के लिए बेहद सुविधाजनक बनती है।
कैसे काम करती है 7 रिंग?
- एनएफसी तकनीक: यह रिंग एनएफसी (Near Field Communication) पर काम करती है। जैसे ही इसे भुगतान के लिए डिवाइस पर टैप किया जाता है, यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के जरिए चार्ज होती है और पेमेंट पूरा करती है।
- मेट्रो कार्ड की तरह कार्य: इसे मेट्रो कार्ड की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां उपयोगकर्ता बिना किसी परेशानी के सीधे पेमेंट कर सकते हैं।
- सुरक्षा उपाय: इस रिंग से पेमेंट तब ही होगा जब उपयोगकर्ता मुट्ठी बांधकर टैप करेगा। खुले हाथ से पेमेंट नहीं होता, जिससे यह सुरक्षित भी है।
7 रिंग के वेरिएंट और कीमतें
कंपनी ने इस रिंग के तीन वेरिएंट लॉन्च किए हैं:
- ₹1,500 की रिंग: सस्ती और टिकाऊ।
- ₹4,500 की रिंग: बेहतर डिजाइन और टिकाऊपन के साथ।
- ₹27,000 की रिंग: यह रिंग 18 कैरेट सोने से बनी है और प्रीमियम ग्राहकों के लिए तैयार की गई है।
कंपनी के पास इस रिंग के सभी पेटेंट हैं, जो इसे अनोखा और विशिष्ट बनाते हैं।
प्रेरणा: एप्पल वॉच से आया आइडिया
विजय वासुदेव ने बताया कि उन्हें यह आइडिया एप्पल वॉच से मिला। उन्होंने देखा कि टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है, और भविष्य में पेमेंट करने के लिए रिंग एक बड़ा माध्यम बन सकती है। इस सोच को साकार करने में उन्हें 7 साल का समय लगा।
‘7 रिंग’ की शुरुआत और संघर्ष
- 2017 में शुरुआत: विजय वासुदेव ने 2017 में 7 रिंग की नींव रखी।
- 2018 में पेटेंट मिला: रिंग का पहला पेटेंट 2018 में हासिल किया गया।
- 2020 में मास्टरकार्ड से सर्टिफिकेशन: पेमेंट की ग्लोबल सर्टिफिकेशन के लिए मास्टरकार्ड से पार्टनरशिप की गई।
- 2021 में झटका: 15 अगस्त 2021 को प्रोडक्ट लॉन्च की योजना थी, लेकिन मास्टरकार्ड पर भारत सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिए जाने से बिजनेस ठप हो गया।
- 2022 में रुपे से साझेदारी: इसके बाद कंपनी ने रुपे के साथ साझेदारी की और 2023 में आखिरकार प्रोडक्ट लॉन्च कर दिया।
7 रिंग के यूजर्स और सेल्स का सफर
सितंबर 2023 में लॉन्च होने के बाद से अब तक कंपनी ने लगभग 3,000 रिंग बेची हैं। कंपनी का सारा बिजनेस डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल पर आधारित है, और यह अपनी वेबसाइट के माध्यम से ही उत्पाद बेचती है।
2023-24 का राजस्व:
- पहली तिमाही में: ₹26 लाख।
- दूसरी तिमाही में: ₹35 लाख। कंपनी ने अब तक कुल ₹61 लाख की कमाई की है और भविष्य में इसे बड़े स्तर पर स्केल करने की योजना है।
7 रिंग के इनोवेशन
- मेड इन इंडिया प्रोडक्ट: रिंग पूरी तरह भारत में बनाई जाती है। हालांकि, कच्चा माल आयात किया जाता है।
- पेटेंटेड डिजाइन: कंपनी के पास सभी वेरिएंट्स के लिए पेटेंट हैं।
- लंबी लाइफ: यह रिंग 4-5 साल तक टिकाऊ रहती है।
फंडिंग का सफर
- 2018: कंपनी ने ₹50 लाख की फंडिंग हासिल की।
- 2020: ₹65 लाख की फंडिंग मिली।
- 2022: ₹39 लाख का निवेश प्राप्त हुआ।
- 2023: ₹72 लाख की फंडिंग जुटाई।
शार्क टैंक इंडिया में, कंपनी ने 1% इक्विटी के लिए ₹75 लाख की मांग की। अंततः विनीता, वरुण, और पीयूष ने मिलकर 1.5% इक्विटी और 1.5% एडवाइजरी इक्विटी के बदले ₹75 लाख का निवेश किया।
अमन गुप्ता का दिलचस्प रिएक्शन
स्टार्टअप की पिच के दौरान अमन गुप्ता ने मजाक में कहा, “बच्चे आते-जाते रहते हैं,” लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि रिंग से पेमेंट का यह आइडिया उनके लिए भी नया था। हालांकि, उन्होंने स्टार्टअप में निवेश करने से परहेज किया और विजय को तेजी से आगे बढ़ने की सलाह दी।
भविष्य की योजनाएं
7 रिंग का उद्देश्य अगले 3 वर्षों में 30 लाख रिंग्स बेचने का है। कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को ग्लोबल मार्केट में ले जाने और अपने D2C मॉडल को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है।
भारत में पेमेंट टेक्नोलॉजी का भविष्य
7 रिंग जैसी इनोवेटिव कंपनियां भारत में डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं। बिना फोन या वॉलेट के भुगतान करने की यह सुविधा आने वाले समय में लोगों की जिंदगी को और आसान बनाएगी।