शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में एक ऐसा अनोखा और प्रेरणादायक स्टार्टअप देखने को मिला जिसने दिव्यांगों की जिंदगी में एक नई रोशनी ला दी है। इस स्टार्टअप का नाम है फ्यूप्रो (Fupro), जिसे चंडीगढ़ के निमिश मेहरा और केरल के साइरिल जो बेबी ने शुरू किया है। यह स्टार्टअप खासतौर पर प्रोस्थेटिक्स (कृत्रिम अंग) बनाने में माहिर है और अपने इनोवेशन से प्रोस्थेटिक्स की दुनिया में बड़ा बदलाव ला रहा है।
Fupro: इनोवेशन और सस्टेनेबिलिटी का अनोखा मेल
फ्यूप्रो के पास 20 इनोवेटिव प्रोडक्ट्स हैं, जिनमें से 5 पेटेंटेड डिज़ाइन हैं। इन प्रोडक्ट्स को पूरी तरह से मेड इन इंडिया बनाया गया है। कंपनी के प्रोडक्ट्स विदेशी ब्रांड्स के मुकाबले 50-80% तक सस्ते हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले भी यह 10-15% सस्ते हैं। इसके बावजूद कंपनी का जोर हमेशा क्वालिटी पर रहा है और वे किसी भी तरह का समझौता नहीं करते।
स्टार्टअप की प्रेरणा: सैनिकों और दिव्यांगों के जीवन को बदलना
फ्यूप्रो की शुरुआत निमिश मेहरा ने अपने कॉलेज के प्रोजेक्ट के तौर पर की थी। वह एक अंतरराष्ट्रीय रेस कार डिज़ाइनर रहे हैं और घायल सैनिकों से प्रेरणा लेकर आधुनिक प्रोस्थेटिक्स बनाने की दिशा में काम किया। निमिश ने बताया कि जब वह दो महीने तक बिस्तर पर रहे, तब उन्हें महसूस हुआ कि चलने-फिरने की आज़ादी कितनी जरूरी है। यही सोच उन्हें इस क्षेत्र में लाने की सबसे बड़ी वजह बनी।
अंशुल की प्रेरणादायक कहानी
फ्यूप्रो ने अपने पिच के दौरान एक राष्ट्रीय स्तर के पर्वतारोही अंशुल की कहानी साझा की, जो एक सड़क दुर्घटना में अपना पैर खो बैठे थे। फ्यूप्रो की प्रोस्थेटिक लेग की मदद से अंशुल ने फिर से चलना सीखा और अपने जुनून को नया जीवन दिया। अंशुल ने बताया कि ये प्रोस्थेटिक्स हल्के हैं, कॉस्ट इफेक्टिव हैं, इनमें स्प्रिंग एक्शन है और इनकी “रेंज ऑफ मोशन” भी शानदार है।
बूटस्ट्रैप्ड कंपनी और फंडिंग का सफर
फ्यूप्रो एक बूटस्ट्रैप्ड कंपनी है, जिसमें अब तक सारे पैसे को-फाउंडर्स ने ही लगाए हैं। इसमें निमिश के फैमिली फ्रेंड अश्मित ने 2.5 करोड़ रुपये का निवेश किया है। अश्मित के पास कंपनी में 40% इक्विटी है, जबकि निमिश और साइरिल के पास क्रमश: 30% और 25% इक्विटी है।
फाउंडर्स ने शार्क टैंक में 1% इक्विटी के बदले 60 लाख रुपये की मांग की थी। इसके बाद, शार्क अनुपम मित्तल इस डील से बाहर हो गए। कुणाल ने 10% इक्विटी के बदले 2 करोड़ रुपये देने का ऑफर दिया, लेकिन उन्होंने कैप टेबल में बदलाव की शर्त रखी जिसे फाउंडर्स ने ठुकरा दिया। अंततः रितेश अग्रवाल, नमिता थापर और अमन गुप्ता ने 4% इक्विटी के बदले 60 लाख रुपये का निवेश किया।
Fupro के इनोवेशन
- सस्ती प्रोस्थेटिक्स: फ्यूप्रो की प्रोस्थेटिक्स विदेशी और भारतीय प्रतिस्पर्धियों से सस्ती हैं।
- पेटेंटेड डिज़ाइन: कंपनी के 5 पेटेंटेड डिज़ाइनों ने इनोवेशन में नई ऊंचाई हासिल की है।
- दिव्यांगों की मदद: अब तक 15,000 से अधिक दिव्यांगों की जिंदगी में बदलाव ला चुका है।
- आर्मी सैनिकों के लिए समाधान: कंपनी का लक्ष्य है कि भविष्य में भारतीय सेना के घायल जवानों के लिए किफायती प्रोस्थेटिक्स तैयार किए जाएं।
भविष्य की योजनाएं
फ्यूप्रो ने साल 2022-23 में 2.16 करोड़ रुपये की सेल की। अगले साल यह आंकड़ा 2.5 करोड़ रुपये तक पहुंचा। कंपनी ने 2024-25 के शुरुआती 6 महीनों में 1.48 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है और पूरे साल का टारगेट 5 करोड़ रुपये रखा है।
भविष्य में फ्यूप्रो का उद्देश्य है:
- प्रोस्थेटिक्स के दायरे को और बढ़ाना।
- अधिक से अधिक दिव्यांगों तक पहुंचना।
- नए उत्पादों और डिज़ाइनों को विकसित करना।
भारत में प्रोस्थेटिक्स का बदलता परिदृश्य
फ्यूप्रो जैसी कंपनियां भारत में प्रोस्थेटिक्स उद्योग में क्रांति ला रही हैं। जहां पहले यह क्षेत्र विदेशी कंपनियों पर निर्भर था, वहीं अब मेड इन इंडिया विकल्प सस्ते और टिकाऊ साबित हो रहे हैं। फ्यूप्रो का यह सफर न केवल भारतीय स्टार्टअप्स के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिव्यांगों और सैनिकों की जिंदगी में उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।